Saturday, 17 October 2009

दीया, तुम जलना..

दीवाली पर अभी तुरत लिखी एक छोटी कविता.
जो जीवन देकर उजाला देता है, उससे की मैंने विनती....





दीया, तुम जलना..  
अंतरतम का मालिन्य मिटाना 
विद्युत-स्फूर्त ले आना.  
दीया, तुम जलना.  


जलना तुम मंदिर-मंदिर 
हर गांव नगर में जलना 
ऊंच-नीच का भेद ना करना 
हर चौखट तुम जलना  




बूढ़ी आँखों में तुम जलना 
उलझी रातों में तुम जलना 
अवसाद मिटाना हर चहरे का 
हर आँगन तुम खिलना  
दिया तुम जलना  

सभी ब्लोगर भाइयों को दीवाली की अनगिन शुभकामनायें.......





चित्र साभार: गूगल


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